टाउन प्लानिंग की मूक नसीहत देता यह सुंदर शहर
चण्डीगढ़ स्वयं में
एक अद्भुत शहर है, भारत का पहला सुनियोजित ढंग से तैयार किया गया शहर, जिसे सिटी
ब्यूटिफुल का दर्जा प्राप्त है। इस शहर के साथ हमारी किशोरावस्था की यादें जुड़ी
हुई हैं, जब दसवीं के बाद दो वर्ष सेक्टर-10 के डीएवी कॉलेज में पढ़ने का मौका
मिला था। इसमें एक साल पास के 15 सेक्टर स्थित रामकृष्ण मिशन के विवेकानन्द
स्टूडेंट होम में रुकने व इसके स्वामी लोगों से सत्संग का सौभाग्य मिला था।
आज पहली बार सपरिवार
चण्डीगढ़ रुकने का संयोग बन रहा था। हरिद्वार से चण्डीगढ़ तक वाया हथिनीकुण्डबैराज के सफर का जिक्र हम पिछली ब्लॉग पोस्ट में कर चुके हैं। अब चण्डीगढ़ पहुँचकर
यहाँ रात को रुकने की व्यवस्था करनी थी। एक बाहरी घुम्मकड़ के लिए इस शहर में बजट
ट्रैब्ल के साथ रुकने के क्या ऑपशन हो सकते हैं, इसको एक्सप्लोअर करते रहे। उपलब्ध
जानकारियों को पाठकों के साथ शेयर कर रहा हूँ, जो पहली बार चण्डीगढ़ घूमने के लिए
आ रहे किसी पथिक को शायद कभी काम आ जाए।
चण्डीगढ़ में परिवार संग बजट में रुकने के लिए धर्मशालाएं सबसे उपयुक्त रहती हैं। हालाँकि आजकल तो ओयो होटेल की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जिनका लाभ लिया जा सकता है। इनमें आधुनिक सुविधा के साथ सुरक्षा की उचित व्यवस्था रहती है, लेकिन दाम थोड़े अधिक रहते हैं। हमारे विचार से धर्मशालाएं बजट ट्रैब्लर के लिए अधिक उपयुक्त रहती हैं। सर्च करने पर हमें कुछ धर्मशालाएं मिली थीं, जैसे 28 सैक्टर में हिमाचल भवन और गुज्जर भवन, 15 सैक्टर में चनन राम धर्मशाला, 22 सेक्टर में सूद धर्मशाला आदि।
हरिद्वार से पंचकुला
की ओर से चण्डीगढ़ में प्रवेश करते ही राह में सेक्टर 28 का हिमाचल भवन पहला पड़ाव
था, लेकिन यहाँ कमरे फुल थे, फिर सेक्टर-15 में चननराम धर्मशाला पड़ती है, यहाँ भी
कमरे फुल मिले। इन धर्मशालाओं की खासियत यह है कि इनमें वाहन के पार्किंग की
सुविधाएं भी हैं, साथ ही भोजन की भी उत्तम व्यवस्था रहती है। परिवार के साथ यात्रा
में ये काफी किफायती एवं उपयोगी रहती हैं।
अंत में हमें
सेक्टर-22 की सूद धर्मशाला में जगह मिली। इसे चण्डीगढ़ की सबसे लोकप्रिय धर्मशाला
माना जाता है, हमारा अनुभव भी कुछ ऐसा ही रहा। साफ सूथरे कमरे। पूरा स्टाफ वेल बिहेवड़।
अनुशासन व सुरक्षा की उचित व्यवस्था। इसमें रुकने के लिए हर सदस्य का आधार कार्ड
अनिवार्य होता है। धर्मशाला में प्रवेश करते ही बाहर पीपल पेड़ के नीचे
विघ्नविनाशक गणेशजी एवं बजरंगवली हनुमानजी के विग्रह धर्मशाला के साथ एक सात्विक भाव
को जोड़ते हैं।
एक और बात जो इस
धर्मशाला को खास बनाती है, वह है इसकी कैंटीन में खान-पान से जुड़ी उपलब्ध सुविधाएं।
यह प्रातः साढ़े छः बजे से रात साढ़े दस बजे तक चालू रहती है। यहाँ ब्रैकफास्ट,
लंच और डिन्नर की बेहतरीन व्यवस्था दिखी, वह भी बहुत ही किफायती दामों में। इसके
रेट को देखकर लगा की धर्मशाला चैरिटेवल भाव से चल रही है, ग्राहकों को लुटने का
भाव यहाँ नहीं दिखा। सामान्य भरपेट भोजन 45 रुपए में था, स्पेशल थाली 50 रुपए में
और डिलक्स थाली मात्र 60 रुपए में। जिसका दाम सड़क के किनारे ढावों में या होटलों
में 80-100 से 150-200 से कम न होगा।
अपने अनुभव के आधार हर हम चण्डीगढ़ आ रहे नए यात्रियों को इस धर्मशाला में रुकने का सुझाव दे सकते हैं। सदस्यों की संख्या के आधार पर एक से तीन बेड़ वाले कमरे यहाँ 200 से 800 रुपए के बीच मिल जाएंगे और डोरमेट्री के चार्ज तो ओर भी कम मिलेंगे। इस धर्मशाला की खास बात है कि यह 17 सैक्टर के बहुत पास है, बल्कि 17 सेक्टर के पुराने बस अड्डे के सामने वाली मार्केट के पीछे। बस अड्डे को पार करते ही 17 सैक्टर की मार्केट में प्रवेश हो जाता है, जो कि चण्डीगढ़ की मुख्य मार्केट है, जिसमें आपको हर तरह के सामान व सुविधाएं उपलब्ध मिलेंगी। कपड़े, जुत्ते, घर के सामान से लेकर खाना-पीना, बर्दी, लैप्टॉप, पुस्तकें एवं मेडिसिन, हेंडिक्राफ्ट्स, कार्पेट आदि। फिल्मं थिएटर भी इसके दोनों छौर पर मौजूद हैं।
पुस्तक प्रेमियों
एवं विद्यार्थियों के लिए कई पुस्तक भण्डार हैं, जहाँ हर तरह की पुस्तकें, मैगजीन
व स्टेशनरी उपलब्ध रहती हैं। पर्चेजिंग के अतिरिक्त खास बात है इसके बीचों बीच
खुला स्पेस, जहाँ शाम के समय हवा से बातें करते, आसमानं को छूते रंग-बिरंगे
फब्बारे, संगीत की धुन के साथ थिरकते नजर आएंगे। इसके आस पास जगह-जगह पर हरे-भरे
वृक्षों की छाया में बने रुकने, बैठने के साफ-सुथरे, कलात्मक ठिकाने हैं। परिवार
के साथ यहाँ शॉपिंग के साथ खाने-पीने का व मौज-मस्ती का पिकनिक जैसा अनुभव लिया जा
सकता है।
सेक्टर 17 के सामने
ही मुख्य सड़क के उस पार सामने रोज गार्डन पड़ता है, जिसमें रंग-विरंगे गुलाब
फूलों के दर्शन किए जा सकते हैं। इसके बीचों बीच फब्बारों के दर्शन के साथ आस-पास
बड़े-बड़े घास के मैदानों के बीच टहलने व विश्राम का आनन्द लिया जा सकता है। फिर मुख्य
मार्ग के उत्तरी छोर पर सुखना लेक पड़ती है, जो मानव निर्मित झील है। इसमें बोटिंग
का लुत्फ लिया जा सकता है। इसके किनारे पर बनी सड़क पर वॉकिंग एक बेहतरीन अनुभव
रहता है। यहाँ भी एक छोर पर खाने-पीने व रिफ्रेश होने के बेहतरीन ठिकाने हैं।
इसी के पास है रॉक गार्डन, जो शहर की टुटी फूटी एवं बेकार चीजों को कलात्मक ढंग से सजाकर बनाया गया स्व. नेकचंद का एक अद्भुत सृजन संसार है। यहाँ से पंचकुला से आगे चंडी माजरा क्षेत्र के मिलिट्री एरिया में काली माता को समर्पित चण्डी मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं, जिसके नाम पर शहर का नाम चण्डीगढ़ पड़ा। आज समय अभाव के कारण हमारी यह इच्छा अधूरी रह गई थी, लगा उचित समय पर यह इच्छा अवश्य पूरी होगी।
इसके स्थान पर आज 15
सेक्टर में स्थित रामकृष्ण मिशन जाने का संयोग बन रहा था, जहाँ पिछले कई वर्षों से
नहीं आ पाया था। हालाँकि रात को 7 बजे के बाद आश्रम बंद हो चुका था। इसके पास के
विवेकानन्द स्टुडेंट होम में भी विद्यार्थी नहीं थे, कोरोना काल के बीच घरों में
रह रहे हैं। स्टुडेंट होम और मिशन के
मुख्य भवन के बीच एक नया भवन खड़ा दिखा, जाकर पता चला कि यह 2018 में नवनिर्मित
मेडिटेशन सेंटर है, अंदर प्रवेश कर विशाल हाल की मद्धम रोशनी एवं नीरव शांति के बीच
ध्यान के कुछ यादगार पल विताए। यहाँ से गुजरते हुए यात्रीगणों को सुझाव दे सकता
हूँ कि थोड़ा समय निकालकर इस आध्यात्मिक स्थल में कुछ पल के सात्विक अनुभव का लाभ लिया
जा सकता है, जो यादगार पल सावित होंगे।
चण्डीगढ़ की खास बात यहाँ के सेक्टरों में बंटा होना है। इसके नक्शे को देखकर स्पष्ट होता है कि शुरु में 1 से 25 सेक्टर प्रारम्भिक चरण में बने होंगे, जिनमें मध्य मार्ग के दोनों और सेक्टरों का योग 26 बनता है। जैसे 12-14, 11-15, 10-16, 9-17, 8-18, 7-19 आदि। इस तरह इसमें 13 सेक्टर नहीं है। अगली पंक्ति में 26 से 30 सेक्टर पड़ते हैं और फिर 31 से 56 सेक्टर अगली तीन पंक्तियों में व्यवस्थित हैं। सेक्टर 57 के बाद के सेक्टर मोहाली में पड़ते हैं।
हर सेक्टर इस तरह से
बनाया गया है कि आवासीय भवनों के साथ इन सबकी अपनी दुकानें, शैक्षणिक और स्वास्थ्य
सुविधाएं, पूजा स्थल, खुला स्पेस और हरियाली की व्यवस्था है। निसंदेह रुप में
चण्डीगढ़ भारत का सबसे सुव्यवस्थित शहर है। फ्रेंच-स्विस आर्किटेक्स ली कार्बुजियर
द्वारा डिजायन किया गया यह शहर निंसदेह रुप में भारत के अन्य शहरों के लिए एक मानक
है। इसमें यात्रा के बाद इनकी दूरदर्शिता को देखकर मन अविभूत होता है और लगता है
कि हम भारतीयों को शहरों व कस्वों की प्लानिंग के संदर्भ में कितना कुछ सीखना शेष
है।