रविवार, 13 अप्रैल 2014

इतना काफी नहीं


मंदिर में भगवान अच्छे,
लेकिन, इतना काफी नहीं,
          मन मंदिर में स्थापित करना होगा।

        दीवालों पर टंगे चित्र आदर्शों के भले,
लेकिन, इतना काफी नहीं,
      जीवन में धारण करना होगा।

नक्शा जीवन का क्या खूब,
 लेकिन, इतना काफी नहीं,
  जमीं पर उतारना होगा।

 भटक लिए मदहोशी में बहुत,
लेकिन, अब और नहीं,
         होश में, खुद को संवारना होगा।।

       बातें कर ली अच्छाई-भलाई की बहुत,
लेकिन, इतना काफी नहीं,
               सच की आँच में खुद को तपाना होगा।

  इबादत कर लिए खुदा की बहुत,
लेकिन, इतना काफी नहीं,
      खुदी को बुलन्द करना होगा।

  चर्चा हो गई परिवर्तन की बहुत,
लेकिन, इतना काफी नहीं,
                                     परिवर्तन बनकर दिखाना होगा।

भांज लिए अंधेरे में लाठी बहुत,
लेकिन, समाधान कहाँ,
                                       अंतर का दीपक जलाना होगा।।

हो गयी शास्त्रों की चर्चा बहुत,
       लेकिन इतना काफी नहीं,
                     जीवन को शास्त्र बनाना होगा।

  बुलंदी को छूने का ईरादा क्या खूब,
लेकिन इतना काफी नहीं,
                             पहले खोदी खाई को पाटना होगा।

  कर लिए बातें गुरु भक्ति की वहुत,
 लेकिन इतना काफी नहीं
             शिष्यत्व को निखारना होगा।

घूमते रहे परिधि में बहुत,
            लेकिन पहुँचे कहाँ,
                                               परिधि के पार साहसिक कदम उठाना होगा।।

   कर लिए प्रार्थना, सुबह शाम बहुत,
       लेकिन इतना काफी नहीं,
                                             कर्म को प्रार्थनामय बनाना होगा।

हो गई देवत्व की बातें बहुत,
                   लेकिन क्षुद्रता से निजात कहाँ,
                         पहले एक सच्चा इंसान बनना होगा।

 हो गया भगवान का कीर्तन भजन बहुत,
लेकिन इतना काफी नहीं,
                                    छल-छिद्रों को पहले बंद करना होगा।

      हो गई क्राँति-महाक्राँति की लिखा-पढ़ी बहुत,
                    लेकिन जीवन ढर्रे पर क्यों,

      सुधार का ठोस कदमआज-अभी से उठाना होगा।।

            

मंगलवार, 8 अप्रैल 2014

एक पथिक की अभिलाषा..


जीवन अगर एक रोमाँच...

जीवन अगर एक पहेलीसमाधान इसका करना होगा,

जीवन अगर एक चुनौतीस्वीकार इसको करना होगा,

जीवन अगर एक स्वप्नसाकार इसे करना होगा,

जीवन अगर एक संग्रामइसमें जूझ लड़ना होगा,

जीवन अगर उफनती धाराइसमें कूद तैरना होगा,

जीवन अगर एक सागर, समर्थ नाव में चढ़ना होगा,

जीवन अगर एक संगीतगहराई में इसके उतरना होगा,

जीवन अगर एक खेलखिलाड़ी बन खेलना होगा,

जीवन अगर एक मरुथलपार इसके चलना होगा,

जीवन अगर एक भ्रमहोश में इससे उबरना होगा,

जीवन अगर एक उपहारसहेज कर इसे रखना होगा,

जीवन अगर एक वायदापूरा इसको करना होगा,

जीवन अगर एक रोमाँचहर पल इसको जीना होगा,

जीवन अगर एक शिखर, आरोहण इसका करना होगा,

जीवन अगर एक संभावना, मूर्त इसको करना होगा,

जीवन अगर पूर्णता की डगरहर कसौटी पर कसना होगा,

गिरि-कंदराअगम्य शिखरवन-प्रांतर से बाहर निकल,

संतप्त जग में सुरसरि धार, हिमनद बन बहना होगा।।


चुनींदी पोस्ट

प्रबुद्ध शिक्षक, जाग्रत आचार्य

            लोकतंत्र के सजग प्रहरी – भविष्य की आस सुनहरी    आज हम ऐसे विषम दौर से गुजर रहे हैं, जब लोकतंत्र के सभी स्तम्...