जीवन
को सृजन का नया आयाम देंगे
मन के ये मोती, अमृत बूंदें ये
आसुंओं की(रुद्राक्ष मोती)
दिल को छू गई, मन पर छा गई,
प्राणों में समाकर, जड़-बुद्धि को हिलाकर,
चैतन्य होश का एक नूतन वरदान दे गई।1
ऐसे में रहें हम अपनों संग घर-परिवार
में,
या किसी पद पर आसीन राज-दरवार में,
रहें हम निर्जन बन-प्रांतर, गुफा-झील के किनारे,
या इस संसार के भवसागर में
डूबते-इतराते।2
तुम्हारे संग विताए अनमोल पलों को
सुमिरन कर,
भावों के अमृत सागर में डूबकी लगाकर,
तेरी अमृत सी अश्रु बूँदों के संग,
विनाश के मुहाने पर खड़े जीवन को सृजन
का नया आयाम देंगे।3
दशकों से उजड़े चमन को सजाकर,
खंडहर पड़े मन-मंदिर को नया रंग, नया रुप देकर,
तेरी दिव्य स्मृतियों की शाश्वत ज्योति
के संग,
दुनियां को नयी आश, नयी सुवास, जीने का नया अंदाज
देंगे।4