THIS WORLD as GREAT GYMNASIUM
क्यों होते हो निराश-हताश इतना,
क्यों इतना विचलित-मायूस-उदास,
छोटी सी तो घटना घटी
है,
बहुत बड़ी जिंदगी की
कायनात।1
कब अबारा बादल ढक पाए
हैं सूरज को,
कब रात, मिटा सकी है
भौर की आश,
घटना घट गई, बिजली
कड़क गई, करारे सबक दे गई,
माना मायावी दौड़ में
शामिल दुनियां,
क्यों होते हो इस भीड़
में शुमार,
जब तुम्हारा ध्येय मौलिक
अलक्षित,
क्यों तुलना-कटाक्ष
में समय बर्बाद।3
क्या भूल गए अपना
यथार्थ-हकीकत,
मौलिक सच, अद्वितीय
पथ-पहचान,
जब तोड़ने हैं रिकॉर्ड
अपने ही,
फिर कैसी प्रतियोगिता
का भ्रम-भटकाव।4
स्वागत हर विषम परिस्थिति
प्रहार,
अंतिम विजय जब ध्रुब
सुनिश्चित,
बढ़ता चल तू हर सीमा
के पार।5
बस रहे ईमानदार कोशिश
पहचान अपनी,
जज्बा अद्म्य, सीखने
की ललक अपार,
कौन सी बाधा रोक
सके फिर ढगों को,
होशोहवाश में देखो सपना होता साकार।6
होशोहवाश में देखो सपना होता साकार।6