विदेशों में लोकप्रिय किंतु भारत में उपेक्षित
हरा सेब
सेब विश्व का एक लोकप्रिय फल है, जो अमूनन ठण्डे
और बर्फीले इलाकों में उगाया जाता है। हालाँकि अब तो इसकी गर्म इलाकों में उगाई
जाने वाली किस्में भी तैयार हो रही हैं, लेकिन ठण्डे इलाकों में तैयार सेब का कोई
विकल्प नहीं।
सेब में भी यदि भारत की बात करें, तो लाल रंग को
ही अधिक महत्व दिया जाता है। सेब की मार्केट वैल्यू इसकी रंगत के आधार पर
ही तय की जाती है और खरीदने वाले भी लाल रंग को ही तबज्जो देते हैं। ग्राहकों व
मार्केट की इस माँग को देखते हुए सेब में लाल रंगत को बढ़ाने के लिए किसान अपने स्तर पर जुगाड़ भिड़ाते हैं, जिनमें ईथर
जैसे रसायनों का छिड़काव भी शामिल है, जिसका चलन स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित
नहीं।
मालूम हो कि सेब की लाल रंग के अलावा पीली और हरी किस्में भी पाई जाती हैं। अब तो सफेद सेब भी तैयार हो चला है। पीले रंग की किस्म को गोल्ड़न सेब कहते हैं, जो स्वाद में काफी मीठा होता है, लेकिन लाल रंग के अभाव में इसकी भी मार्केट वेल्यू कम ही रहती है, जिसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। इसी तरह हरे सेब की लोकप्रिय किस्म ग्रेन्नी स्मिथ है, जो स्वाद में खट्टी होती है और समय के साथ इसमें मिठास आना शुरु होती है।
यह विश्व में सबसे लोकप्रिय सेब की वेरायटी में
से एक है। हालाँकि यह बात दूसरी है कि सेब की इस किस्म को भारत में बहुत कम लोग
जानते हैं, ठेलों पर शायद ही इसके दर्शन होते हों। जबकि अमेरिका में यह सबसे
लोकप्रिय सेब की किस्मों में शुमार है, जो अकारण नहीं है। वहाँ लोग सेब के रंग की
बजाए इसकी गुणवत्ता को आधार बनाकर प्राथमिकता देते हैं। इस जागरुकता का अभी हमारे
देश में अभाव दिखता है।
ग्रीन एप्पल के गुण – ग्रीन एप्पल की शेल्फ लाईफ अधिक होती है अर्थात इसे पेड़ से तोड़ने के बाद 4-5 महिने तक बिना किसी खराबी के सामान्य तापमान (रुम टेम्परेचर) पर स्टोर किया जा सकता है। भारत के पहाड़ी इलाकों में अक्टूबर माह में तुड़ान के बाद इसे मार्च-अप्रैल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। साथ ही समय के साथ इस खट्टे सेब में मिठास आना शुरु हो जाती है। अपने खट्ट-मिठ स्वाद के कारण इसके सेवन का अपना ही आनन्द रहता है। साथ ही यह सेब ठोस होता है तथा इसमें भरपूर रस होता है, अतः इससे बेहतरीन जूस तैयार किया जा सकता है। इसकी चट्टनी बनाकर या बेक कर उपयोग किया जा सकता है। अन्य़था दूसरी ओर लाल रंग के सेब की शेल्फ लाईफ कम होने की वजह से इन किस्मों को लम्बे समय तक दुरुस्त रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज में रखना पड़ता है, जो छोटे किसानों के बूते की बात नहीं रहती। साथ ही बड़े व्यापारियों द्वारा संरक्षित ऐसे सेब को आम ग्राहक महंगे दाम पर खरीदने के लिए विवश होते हैं।
ग्रीन एप्पल बेस्ट पॉलिनाईजर किस्म की
वेरायटी में आता है, जिस कारण सेब के बगीचे में बीच-बीच में इसके पौधे होने से
पूरे बगीचे में बेहतरीन परागण होती है और सेब की उम्दा फसल सुनिश्चित होती है। साथ
ही ग्रीन एप्पल में फ्लावरिंग शुरु से अंत तक बनी रहती है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से हरा सेब एंटी ऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर पाया गया है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से अपना महत्व रखता है। बजन कम करने के लिए ग्रीन एप्पल को सबसे प्रभावशाली सेब पाया गया है।
हरे सेब में पेक्टिन नाम का तत्व पाया जाता है,
जो आंत के स्वास्थ्यबर्धक बैक्टीरिया के विकास में सहायक होता है। इसमें मौजूद
फाईबर पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है व कब्ज के उपचार में प्रभावशाली रहता है। हरे
सेब में पोटेशियम, विटामिन-के और कैल्शियम प्रचूर मात्रा में रहते हैं, जो
हड्डियों को मजबूत करते हैं। इसमें विद्यमान विटामिन-ए आँखों की रोशनी के लिए बहुत
लाभकारी रहता है। अपने इन गुणों के आधार पर हरा सेब कॉलेस्ट्रल, शुगर व बीपी के
नियंत्रण में मदद करता है व भूख सुधार में सहायक होता है। हरे सेब में विद्यमान
फ्लेवोनॉयड्स को फैफड़ों के लिए लाभदायक पाया गया है व यह अस्थमा के जोखिम को कम
कर देता है। इसे एक अच्छा ऐंटीएजिंग भी माना जाता है, जो आयुबर्धक है तथा
त्वचा का साफ रखता है।