बढ़ना धीरे-धीरे, उर में धीरज अनन्त, आशा अपार
खड़े जहाँ तुम, बढ़ो वहीं से आगे,
बस ध्यान रहे आदर्श अपना, हिमालय सा उत्तुंग,
ध्वल,
लक्ष्य मौलिक, अद्वितीय, सत्य, शिव, सुंदर।
बहते रहना हिमनद सा अविरल,
राह का लेना आनन्द भरपूर,
पथ की हर चुनौती, बिघ्न-बाधा रहे सहर्ष स्वीकार,
वर्ष 2019 स्वागत के लिए खड़ा तैयार।
कहीं गिरोगे पथ में, राह फिसलन भरी,
उठना, संभलना, दुगुने वेग से आगे बढ़ना,
कदम बढ़ते रहे, तो मंजिल मिलकर रहेगी,
धीरे-धीरे बढ़ना, रख धीरज अनन्त, आशा अपार,
वर्ष 2019 स्वागत के लिए खड़ा तैयार।
क्रमशः निखार आएगा जीवन में,
देना गति सबको, जो बढ़ने को तैयार,
मिलेंगे बिघ्नसंतोषी भी राह में,
मिले सबको सद्बुद्धि, सद्गति ये प्रार्थना,
उर में धारण किए स्नेह, सद्भाव और प्यार,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें