ब्लॉग सृजन प्रेरणा
कितनी बार आया मन में,
मैं भी एक ब्लॉग बनाउं,
दिल की बातें शेयर कर,
अपनी कुलबुलाहट जग को
सुनाउं।
लेकिन हर बार संशय, प्रमाद ने
घेरा,
कभी हीनता, संकोच ने हाथ फेरा,
छाया रहा जड़ता का सघन
अंधेरा,
लंबी रात बाद आया सृजन सवेरा।
ढलती शाम थी, वह वन प्रांतर
की,
सुनसान जंगल में था रैन
बसेरा,
रात के सन्नाटे को चीरती,
गुंज रही थी तान झिंगुरी,
बनी यही तान मेरी ब्लॉग
प्रेरणा,
जब झींगुर मुझसे कुछ यूँ बोला।
क्या फर्क पड़ता है तान,
बेसुरी है या सुरमय मेरी,
प्रकृति की गोद में रहता
हूँ अलमस्त,
गाता हूँ जीवन के तराने,
दिल खोलकर सुनाता हूं गीत
जीवन के,
हैं हम अपनी धुन के दीवाने।
तुम इसे झींगुरी तान कहो या
संगीत या फिर,
एक प्राणी का अलाप-प्रलाप या
कुछ और,
लेकिन मेरे दिल की आवाज़ है
यह,
अनुभूतियों से सजा अपना
साज़ है यह,
और शायद अकेले राहगीरों का साथ
है यह।
नहीं समझ आ रहा हो तो,
निकल पड़ना कभी पथिक
बनकर,
निर्जन बन में शिखर की
ओर अकेले,
कचोटते सूनेपन में राह का साथ
बनूंगा,
सुनसान अंधेरी रात में एक सहचर
लगूंगा,
भटके डगों के लिए दिशाबोधक
सम्बल बनूँगा।
फिर भी न समझ आए तो, घर जाकर,
तुम भी अपना एक ब्ल़ॉग
बनाना,
शेयर करना अपनी बातें दिल
की,
दुनियाँ को अपनी झींगुरी
तान सुनाना।
सुर बेसुरे ही क्यों न हो
शुरु में,
धीरे-धीरे शब्द लय-ताल-गति पकडेंगे,
टूटने लगेगी जड़ता कलम की,
विचार-भावों की सुरसरि बह
चलेगी।
जीवन ठहराव से बाहर निकल,
मंजिल की ओर बह चलेगा,
क्या मिलता है दुनियाँ से,
नहीं मालूम,
हाँ, एक सुखद झौंका ताजगी का जरुर सुकून देगा।।
Bahut hi prernadayak lekh 🙏🏻👍🎶
जवाब देंहटाएंDhanyawad Kalpvriksh. Happy yo know that!!
हटाएंvery good, inspiring for novice like me.
जवाब देंहटाएंThanks GangaSharanji. Happy to read yourfeedback!!
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना हैं ,अवश्य ही ये हमारे प्रेरणा स्त्रोत बनेगे।
जवाब देंहटाएंThanks for Shashwat lahar. Happy to read your comment!!
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